दुनिया की सबसे बड़ी रंडी रिता मम्मी को किचन में और छत पर चोदा

 दिन पापा ऑफिस में थे और   ज्योति बुआ  बैंक के किसी काम से बाहर गई हुई थी. उसको कुछ शॉपिंग भी करनी थी.  तो घर में मैं समीर  बेटा और मम्मी ही थे.

रीता रसोई में खाना पका रही थी. पिछले कुछ दिनों से उसने अपने समीर को अपनी चू-त से महरूम रखा हुआ था. इसलिए समीर का लं-ड और दिल दोनों ही बेताब थे.


ज्योति को गए हुए आधा घंटा बीत चुका था समीर अपने कमरे में टीवी देख रहा था. रीता को टीवी की आवाज़ सुनाई दे रही थी। रीता ने सब्जी को तड़का लगा कर जैसे ही आटा गूंथना शुरू किया, उसके बेटे समीर ने आकर उसे पीछे से जकड़ लिया.


वो सेल्फ पर झुकी हुई आटा गूँथ रही थी इसलिए खुद को समीर की पकड़ से छुड़ा भी न पाई. समीर ने उसके मम्मों को दबाना और मसलना शुरू कर दिया।

रीता- क्या कर रहे हैं समीर बेटा? छोड़िए न … आटा गूँथने दो न!

समीर- तुम आटा गूंथो और मैं तुम्हारे ये मोटे-मोट मम्में! समीर ने अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचियों को मसलते हुए कहा।


वो अपनी मां की चूचियों को बुरी तरह मसल रहा था, रौंद रहा था और इसके साथ ही वो उसकी गर्दन चेहरे को चूमता जा रहा था. रीता की सिसकारियाँ निकल रही थीं, वो आटा बनाते हुए ‘आह … ओह … माँ … ओह बेटा … आह …’ कहकर पागल सी होती जा रही थी।


समीर ने अपना एक हाथ रीता की मैक्सी के अंदर डाल लिया। रीता ने उसका हाथ बाहर निकालने की कोशिश की तो समीर ने उसका स्तन बेहद बेरहमी से मसल दिया ‘आइ … आ … आ … मर गई!; रीता चीत्कार कर उठी।


समीर- मां तुम्हारा आटा बन गया, अब चपातियाँ बनाओ, बाकी सब मुझ पर छोड़ दो। बड़ी प्यारी चू-त है तुम्हारी … देखो कैसे फड़फड़ा रहा है तुम्हारी चू-त का दाना … यह मुझे कह रहा है कि इसे लौ-ड़ा चाहिए … मम्मी कस कर शेल्फ पकड़ लो!

रीता- समीर बेटा प्लीज … नहीं!


वो समीर को हटाने की एक आखिरी कोशिश कर रही थी, उसने न चाहते हुए भी शेल्फ को दोनों हाथों से पकड़ लिया। झुकने के कारण उसकी चू-त ऊपर की तरफ हो गयी। वह अब घोड़ी बन चुकी थी।


समीर ने रीता को कमर से पकड़ लिया और ल-न्ड को चू-त पर सेट करके ज़ोर से धक्का लगाया।

“आ … आ … माँ मर गयी मैं … ” रीता को लगा जैसे लोहे का मोटा डंडा उसकी चू-त में डाल दिया गया हो।


समीर ने नीचे की तरफ देखा तो ल-न्ड लगभग आधा अंदर जा चुका था। समीर ने अंदाज़ा लगाया पर यह समय रहम खाने का नहीं था, उसने पांच छह शॉट एक के बाद एक पेल दिए जैसे कि कोई ऐक्शन रीप्ले कर रहा हो. रीता की दर्दनाक चीखों से सारा घर गूंज उठा, उसकी टाँगें काँपने लगी.


अगर समीर अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे शेल्फ पर न झुकाता तो यकीनन वो गिर पड़ती। समीर ने अपनी पूरी ताकत से रीता को शेल्फ पर दोहरा किया हुआ था. उसने अपने दोनों हाथों से नीलम के चेहरे को शेल्फ पर दबा रखा था।


रीता के स्तन शेल्फ से लग कर पिचक रहे थे. उसकी साँस रुक रही थी लेकिन बेरहम बेटे को उसकी कोई चिंता नहीं थी. उसने अपनी मां को इसी पोजीशन में दबाए रखा और पीछे से धक्कों की रेल चला दी। रीता पसीने से तरबतर हो गयी। उसकी कमसिन जवानी को उसके मोटे तगड़े बेटे ने मसल कर रख दिया था। उसके कानों में धक्कों की फच-फच … पट-पट … फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी।


तभी मेरी नजर कोने में रखे मक्खन पर चली गयी. मक्खन देख कर मेरे दिमाग में रीता की मस्त गांड मारने का ख्याल आया। वह धीरे से मक्खन का डिब्बा अपनी तरफ खींच कर और मक्खन निकाल कर रीता मम्मी की टाइट गांड के गोरे छेद पर मक्खन लगाने लगा. फिर धीरे धीरे मक्खन रीता की गां-ड के अंदर डालने लगा। साथ साथ रीता मां की चू-त की चु-दाई भी जारी थी. जिससे रीता मां पूरी तरह से गर्म हो रही थी और उसका ध्यान इस तरफ नहीं गया कि उसकी गां*ड के साथ क्या किया जा रहा था.


इधर मैंने धीरे धीरे रीता मम्मी की गांड में ढेर सारा मक्खन डाल दिया। रीता मां की गांड अब मक्खन से पूरी तरह भर गई. तब समीर ने अपना लं-ड नीलम की चू-त से निकाल कर उसकी गांड के छोटे से छेद पर रख कर एक ही झटके में आधा लंड उसकी गां*ड में पेल दिया.


मम्मी दर्द से चीखने लगी. समीर को तो अपने मजे से मतलब था. उसने रीता मां को कस कर पकड़ा और चार पांच धक्कों के साथ पूरा 9 इंच का लं-ड रीता मां गांड में उतार दिया. मम्मी ने अपनी गांड को समीर के लं-ड के चंगुल से छुड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन समीर की ताकत के सामने वो कुछ नहीं कर पा रही थी. आखिरकार वह अपनी गां*ड मरवाने लगी.


समीर- आह्ह्ह् साली रंडी. तेरी गांड कितनी मस्त है। बिल्कुल किसी कुतिया की तरह गरम गांड है तेरी साली रंडी।


5 मिनट की गां*ड चु-दाई के बाद रीता मम्मी को भी मजा आने लगा और वो भी मस्ती में सिसकारियां लेने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…

उसके बाद दस मिनट तक रीता मां की गां*ड को चोदने के बाद मैंने अपने लं-ड को एकदम से निकाल कर उसकी चू-त में डाल दिया.


काफी देर तक अपने बेटे से अपनी चू-त चु-दवाने के बाद उसने एक लंबी आह भरी और उसी के साथ उसका बदन अकड़ा और उसकी चू-त ने पानी छोड़ दिया।


समीर ने उसे अपनी पकड़ से आज़ाद कर दिया लेकिन रीता निढाल होकर शेल्फ पर ही पड़ी रही … उसे परमानन्द का अनुभव हो रहा था. उसके बटे का घोड़ा ल-न्ड अभी भी उसकी चू-त में था लेकिन अब वो लं-ड रीता को अपने ही बदन का हिस्सा लग रहा था. ल-न्ड की गर्मी उसे अच्छी लग रही थी।


समीर- मां आज तूने कमाल कर दिया!

रीता- समीर बेटा, तूने तो पीस कर रख दिया है मुझे, मैंने क्या कमाल किया है, कमाल का तो आपका यह शैतानी ल-न्ड है।


समीर- सच बताना मम्मी, तुझे पौने घंटे की इस चु-दाई में कितना मजा आया?

रीता- पौना घंटा?? इतना टाइम हो गया! मुझे तो लगा कि कुछ ही मिनट हुए हैं … हटो समीर बेटा, अब निकालो अपने ल-न्ड को। मुझे रोटियां बनानी हैं।

समीर- ल-न्ड निकालने की क्या ज़रूरत है, तू रोटियां बना … मैं हल्के हल्के धक्के लगाता रहूंगा बेटी।

रीता- पूरे चो+दू हो आप … इतनी बुरी गत बना दी है मेरी फिर भी चैन नहीं है आपको!

समीर- मुझे तो चैन ही चैन है मगर अपने इस ल-न्ड का क्या करूँ?


समीर- भागे थोड़े न जा रही हूँ, जल्दी-2 रोटियां बनाने दीजिये, कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी।

समीर- ठीक है मम्मी धक्के नहीं लगाऊंगा पर ल-न्ड अंदर ही रहने दे। बड़ा सुख मिल रहा है।


रीता मां अपने बेटे के लं-ड को चू-त में लिये हुए ही रोटियाँ बनाने लगी और समीर उसके मम्मों से खेलता रहा. बीच-2 में वो उसको दो चार झटके भी दे देता था।

“आह … आह … क्या कर रहे हो समीर बेटा? रोटी जल जाएगी.”

“अच्छा रोटी जलने की चिंता है तुझे साली और जो तेरी इस कसी हुई चू-त में मेरा ल-न्ड जल रहा है उसका क्या?” समीर ने उसकी गां*ड पर हल्के हाथों से मारते हुए कहा।


रीता - समीर बेटा निकालो न अपना लं-ड, देखो देर हो रही है … कोई आ जायेगा।

समीर ने टाइम देखा तो बारह बज चुके थे. उसने अपना ल-न्ड रीता की चू-त से बाहर निकाल लिया।

समीर- अब पड़ गयी तुझे ठंडक? ले बना ले रोटियां … मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ।


समीर के चले जाने के बाद सबसे पहले रीता ने अपनी मैक्सी ऊपर करके अपनी चू-त चेक की. उसमें जमा हुआ वीर्य और सूज गयी चू-त देख कर बेचारी डर गई ‘हाय राम, कितनी बेहरमी से चु-दाई की है! कितनी सूज गयी है.’ उसने अपने आप से कहा और जैसे जैसे उसका बदन ठंडा पड़ता गया, उसका बदन शांत हो गया लेकिन चू-त और गां*ड में दर्द अभी भी था।


अब बेचारी क्या करती, कोई चारा नहीं था उसके पास … उसने किसी तरह रोटियां पकाई।

वक़्त बीतने के साथ साथ दर्द बढ़ता जा रहा था, उसने पानी हल्का गर्म किया और एक कपड़ा लेकर टाँगों पर लगा हुआ वीर्य साफ किया और फिर अपनी चू-त और गां*ड को गर्म पानी से साफ करने लगी. गर्म पानी से उसे जलन हो रही थी. मगर आराम भी मिल रहा था।


कुछ देर आराम करने के बाद बाथरूम में जाकर वो कपड़े धोने लगी। फिर कपड़े धोकर नीलम छत पर उन्हें सुखाने आ गई। उनकी छत पड़ोस के घरों की छत से काफी ऊंची थी. इसलिए वो दूसरों की छत पर देख सकती थी लेकिन कोई उसकी छत पर नहीं देख सकता था.


रीता छत पर कपड़े सुखाने ही लगी थी कि पीछे से उसका मैं आ पहुंचा. वो उनसे नजरें मिलाये बिना ही जल्दी जल्दी कपड़े हड़बड़ी में सुखाने लगी. वह जानती थी कि अगर ज्यादा देर वो उनके सामने रुकी तो उसकी चू-त की शामत फिर से आ जायेगी.


मगर अचानक रीता को अपने चू-तड़ों पर अपने बेटे के हाथों का स्पर्श महसूस हुआ. उसे अंदेशा नहीं था कि उसके बेटे उसके साथ इस तरह से खुली छत पर भी छेड़छाड़ करेंगे. उसने बेटे का हाथ हटाया और वहां से जाने लगी.


लेकिन समीर ने उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया.

“मां, तुम मुझसे इतनी क्यों डरने लगी हो?” समीर ने मम्मी की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहा.

“बेटा  प्लीज छोड़िये मुझे … कोई देख लेगा ” रीता अपने आप को उनसे छुड़ाने लगी। रीता को खुली छत पर बहुत डर लग रहा था।


समीर ने रीता को छोड़ दिया और तेज़ी से दरवाज़े की तरफ़ जाकर छत का दरवाज़ा बंद कर दिया। मम्मी एकदम हक्की बक्की रह गई कि बेटा ये क्या कर रहे हैं।

“अब तो डर नहीं लग रहा है न मम्मी?” समीर ने मम्मी की तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए कहा।

रीता ने दबी आवाज में कहा- समीर बेटा कोई देख लेगा। प्लीज … मुझे जाने दीजिए.

मम्मी जल बिन मछली की तरह समीर से अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी … उसे डर लग रहा था कि किसी ने अपनी छत से उन्हें इस तरह देख लिया तो क्या होगा? लेकिन चारों तरफ छत पर बाउंड्री भी बनी हुई थी और शायद समीर इसी बात का फायदा उठा रहा था।


समीर ने मम्मी की गां*ड को अपने हाथों से थामते हुए उस पर एक चुटकी काट ली. जैसे ही रीता मम्मी ने आह्ह … की तो उसने तुरंत अपने होंठ नीलम के होंठों पर रख दिए और बुरी तरह उसे चूसने लगा और अपने हाथों से रीता मां के चू-तड़ों को मसलने लगा।


रीता मम्मी को बड़ी शर्म आने लगी। आज खुले आसमान में दिन में ही समीर बेटे ने रीता को पकड़ लिया था। रीता ने अपनी आँखें बंद कर ली। समीर ने अपने दायें हाथ से रीता मां की चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया। रीता दर्द से तड़पने लगी।


काफी देर तक वे दोनों ऐसे ही छत के बीच में खड़े रहे और समीर रीता मां के होंठों को चूसता रहा. अब रीता भी गर्म होती जा रही थी.


तभी समीर ने रीता को छोड़ा और उसके बाल पकड़ कर मम्मी को अपने सामने बैठा लिया। नीचे बैठाने के बाद समीर ने अपनी पैंट की ज़िप खोल ली और एक झटके में अपना मूसल लं-ड निकाल कर रीता मम्मी के चेहरे के सामने कर दिया- चल साली, चूस इसे!


हवस में डूबा हुआ बेटा अब अपनी मां को गाली देने पर उतर आया था. इससे पहले उसने कभी इस तरह से मम्मी के साथ ऐसा बर्ताव नहीं किया था. समीर के इस बर्ताव से रीता भी हैरान थी. लेकिन उसे नहीं पता था कि यह समीर की एक और फैंटेसी है.


मम्मी सोच ही रही थी कि तभी उसने रीता के बाल पकड़ कर खींच लिये और रीता मां का मुंह अपने लं-ड पर रख दिया और रगड़ने लगा।

रीता को पता था कि वो अब नहीं मानेंगे। रीता ये सब जल्दी खत्म करना चाहती थी। उसने उनका लं-ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।


तभी समीर ने मम्मी के मुंह में अपने लं-ड से एक जोर का झटका दिया और गुं गुं की आवाज हुई और मम्मी की सांस रुक गई। लं-ड रीता मां के गले तक चला गया था। उसके बाद मैंने ने लं-ड एकदम बाहर निकाल लिया। फिर वो झटके मार मार कर अपना लं-ड मम्मी के मुँह में अन्दर बाहर करने लगा।


मम्मी की आँखों से आंसू निकल आए। लं-ड बहुत मोटा था और रीता को उसे चूसने में बड़ी दिक्कत हो रही थी. रीता के चूसने से उसका सुपारा एकदम लाल हो गया था। रीता को ये मस्त लं-ड चूसने में मजा तो आ रहा था लेकिन साथ ही छत पर होने की वजह से डर भी लग रहा था.


फिर उसने रीता को उठने के लिए कहा और छत की चार-दीवारी पर टेक लगा कर झुकने के लिए कहा. रीता उठ कर बाऊंड्री के पास जाकर अपने हाथ दीवार से लगा कर झुक गई. उसको छत से नीचे का नजारा साफ दिखाई दे रहा था और उसकी गां*ड समीर की तरफ उठी हुई थी.


समीर ने रीता मां की साड़ी को पीछे से उसके चू-तड़ों तक उठाया और उसकी कमर को पकड़ कर अपना लं-ड रीता की चू-त में लगा कर निशाना सेट करने लगा.


रीता नहीं चाहती थी कि किसी को कुछ पता चले, इसलिए उसने अपनी चू-त पर लं-ड की छुअन के बाद भी अपने चेहरे हाव-भाव को सामान्य ही बनाये रखा जैसे उसके साथ कुछ हो ही न रहा हो. मगर उसके मन में एक रोमांच उठ रहा था. इससे पहले उसने कभी इस तरह से खुले में चु-दाई नहीं करवाई थी.


सामने की दूसरी छतों पर बच्चे खेल रहे थे. सामने ही एक आंटी भी बच्चों के पास खड़ी हुई थी. लेकिन वह छत इतनी पास नहीं थी कि चु-दाई के बारे में सामने से देखने वाले द्वारा कुछ अन्दाजा लगाया जा सके.


तभी समीर ने एक झटका मारा और रीता मां की चू-त में पूरा लं-ड समा गया क्योंकि रीता मां की चू-त एकदम गीली थी इसलिए लं-ड फच्च से अंदर चला गया. उसे हल्का दर्द तो हुआ लेकिन वो उस दर्द को अंदर ही पी गई.


बेटे का लं-ड रीता की चू-त में घुस चुका था और उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसके साथ खुले आसमान के नीचे दिन दहाड़े ये सब हो रहा है.


समीर ने रीता की कमर को पकड़ लिया और उसकी चू-त में अपने मूसल लं-ड के धक्के देने शुरू कर दिये. रीता अपने आपको बिल्कुल सामान्य बनाये रखने की कोशिश कर रही थी क्योंकि सामने वाली आंटी रीता की तरफ देख रही थी.


चू-त में लं-ड घुसने के बाद रीता का मन तो कर रहा था कि वह भी खुल कर अपने बेटे का इस खुली चु-दाई में साथ दे लेकिन उसे डर था कि अगर उसके चेहरे के भाव जरा भी बदले तो सामने खड़ी आंटी को शक हो जायेगा.

समीर- वाह मम्मी! कितनी सुशील है तू मां … अपने बेटे से ऐसे खुले में चु-दाई करवा रही है. आह्ह … बस थोड़ी देर और मेरी रानी … आह्ह …

उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं.


समीर ने अपनी चु-दाई की स्पीड को और बढ़ा दिया.


लेकिन अब आंटी रीता को बड़े गौर से देखने लगी थी. जब आंटी के मन में कुछ जिज्ञासा उठी तो उसने दूसरी छत से रीता को आवाज लगाई- दीदी, कैसी हो तुम?

रीता के चेहरे पर चु-दाई का आनंद और डर के भाव दोनों ही बड़ी मुश्किल से दबे हुए थे और उसने अपने इन भावों को छिपाते हुए एक हल्की सी मुस्कान के साथ जवाब दिया- जी ठीक हूं दीदी!


आज खुले आसमान के नीचे रीता मां चु-द रही थी। बड़ा अच्छा लग रहा था उसे लेकिन बड़ा डर भी लग रहा था।


तभी एक तेज़ धार रीता की चू-त में चली और समीर अपनी प्यारी मां रीता से चिपक गये। वो झड़ गया था। रीता से भी कण्ट्रोल नहीं हुआ और उसने भी अपना पानी छोड़ दिया।


समीर ने तुरंत अपना लं-ड रीता मां की चू-त से निकाल लिया और पीछे से हट गया। रीता की साड़ी अपने आप उसके नितम्बों से नीचे गिर गई। रीता को बड़ी थकान सी लग रही थी। मगर वह वैसे ही खड़ी रही।


ठंडी ठंडी हवा चल रही थी, बड़ा अच्छा लग रहा था। रीता को महसूस हो रहा था कि उसका और उसके बेटे समीर का वीर्य बहता हुआ रीता की टाँगों पर आ रहा था। रीता कुछ देर वैसे ही खड़ी रही और फिर पीछे मुड़ कर देखा तो समीर नीचे जा चुका था।

रीता ने भी अपने आप को सम्भाला, अपने कपड़े ठीक किये और कपड़ों की बाल्टी उठायी और धीरे धीरे छत से नीचे आ गई।


आज समीर की एक और इच्छा पूरी हो गई थी और रीता को एक ऐसा अनुभव मिल गया था कि वह किसी बिना डोर की पतंग की तरह जैसे आसमान में उड़ी जा रही हो.


मगर उसने पति को तो जैसे भुला ही दिया था. वह अपने बेटे समीर के लं-ड की आदी हो गई थी. जब रीता के पीरियड्स नहीं होते थे तो समीर उसको जमकर चो-दता था.


फिर बाद में समीर ने ही रीता से कहा कि वह अपने पति को भी कभी-कभार अपनी चू-त देती रहा करे. समीर के कहने पर रीता पति के साथ बेमन से चु-दाई करवा लेती थी लेकिन वो अपने बेटे के मूसल लं-ड को लेकर ही संतुष्ट होती थी. रीता और उसके पति ने अब एक दूसरे के साथ समझौता कर लिया था. कोई किसी की जिन्दगी में दखल नहीं देता था.


इस तरह से समीर ने चो-द चो-द कर अपनी मम्मी रीता  को गर्भवती कर दिया. चूंकि वह बीच-बीच में पति से भी चु-दाई करवा रही थी तो किसी को पता नहीं चला कि वह बच्चा किसका है, सिवाय रीता के। वक्त के साथ-साथ रीता अपने बेटे की इतनी दीवानी हो गई कि उसका बेटा कहे तो वह बीच चौराहे पर अपनी चू-त और गां*ड की चु-दाई करवा ले.

समीर ने सेक्स से परहेज़ करने वाली अपनी उस मां को चो-द-चो-द कर अपनी रं*डी बना दिया था.


बेटा अपनी मां को अपने घर के हर कोने में चो-द चुका था और अपनी हर फैंटेसी पूरी कर चुका था. रीता के मान जाने के बाद पति ने अपनी बहन ज्योति से दूरी बना ली थी और उसकी बहन ज्योति भी अपने भतीजे समीर चू-त चु-दाई करवा कर खुश रहने लगी.


अब रीता मां बनने वाली थी. बच्चा भले ही समीर का था लेकिन उसको नाम उसके पति का मिल गया था.


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